दुनिया में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। एक वे जो सिर्फ और सिर्फ अपने लिए जीते हैं और एक वे होते हैं जो अपना जीवन किसी मिशन के लिए समर्पि...

दुनिया में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। एक वे जो सिर्फ और सिर्फ अपने लिए जीते हैं और एक वे होते हैं जो अपना जीवन किसी मिशन के लिए समर्पित कर देते हैं। जाहिर सी बात है दूसरी तरह के लोगों की संख्या बहुत कम है, बस आप अपनी उंगलियों पर गिन लीजिए। ऐसे ही शख्स है डा0 अरविंद मिश्र। अरविंद जी की सामान्य ख्याति हिन्दी के श्रेष्ठ विज्ञान कथाकार के रूप में है। विज्ञान कथाकार के साथ-साथ वे कुशल विज्ञान संचारक भी हैं। विज्ञान कथा उनकी नस-नस में बसी हुई है। चाहे नवोदित रचनाकारों के प्रोत्साहन की बात हो, अथवा विज्ञान कथा सम्बंधी कार्यशालाओं के संयोजन की, वे सदैव प्राणपण से प्रस्तुत रहते हैं। और इसी समर्पण का एक जीवंत उदाहरण है “तस्लीम”।
डा0 मिश्र “तस्लीम” के सक्रिय रचनाकार ही नहीं, सूत्रधार भी हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि वे मत्स्य विभाग में सहायक निदेशक के रूप में कार्य करते हुए भी “तस्लीम” के लिए समय निकाल लेते हैं। तस्लीम ने हाल ही में यह फैसला लिया था कि वह अपने सदस्यों का परिचय भी आमजन के समक्ष प्रस्तुत करेगी, जिससे लोगों को उनके बारे में जानकारी हो सके। हालाँकि इस क्रम में सबसे पहला अधिकार डा0 अरविंद मिश्र जी का ही बनता था, पर संयोगवश उसी समय बीच में मनीष जी “तस्लीम” से आ जुडे, सो शुरूआत उन्हीं से हो गयी। अब उसके बाद सबसे पहला अधिकार मिश्र जी का ही बनता था। इसी क्रम में प्रस्तुत है उनका संक्षिप्त परिचय।
जन्म19 दिसम्बर, 1957
शिक्षामत्स्य विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा एवं जीव विज्ञान में डी0फिल0
लेखन/प्रकाशनवैज्ञानिक विषयों एवं विज्ञान कथाओं सम्बंधी एक हजार से अधिक आलेख धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, नवनीत, जनसत्ता, विज्ञान प्रगति, आविष्कार आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित।
तीन दर्जन से अधिक वार्ताएँ आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित।
पुस्तकेंरंग-बिरंगी मछलियाँ (1998)
एक और क्रौंच वध विज्ञान कथा संग्रह (2000)
विज्ञान कथा का सफर विज्ञान कथा का इतिहास (2000)
समाचार माध्यमों के लिए विज्ञान कथा सम्पादन, (2000)
प्रसारण माध्यमों के लिए विज्ञान कथा सम्पादन, (2002)
लोकप्रिय विज्ञान लेखन और विज्ञान पत्रकारिता सम्पादन, (2005)
“एक और क्रौंच वध” (भारतीय विज्ञान कथाएँ) में कहानी संकलित।
पुरस्कार एवं सम्मान
गोरखप्रसाद विज्ञान पुरसकार-1982
विज्ञान जन संवाद पुरस्कार-1994
विज्ञान वाचस्पति-1998 (विज्ञान परिषद, प्रयाग)
विज्ञान कथा भूषण सम्मान-2003
इस्वा सम्मान-2005 (भारतीय विज्ञान लेखक संघ, दिल्ली)
सी0वी0 रमन तकनीकी लेखन सम्मान-2006 (आईसेक्ट एवं इलेक्ट्रानिकी आपके लिए, भोपाल)
अन्य उपलब्धियाँ
अनेक राष्ट्रीय संगठनों में विभिन्न पदों पर रहते हुए सक्रिय सहभागिता।
विज्ञान संचार एवं विज्ञान कथा सम्बंधी दो दर्जन से अधिक कार्याशालाओं का सफल आयोजन/सम्पादन।
अनेक विज्ञान लेखक संघों के आजीवन सदस्य।
“विज्ञान कथा” पत्रिका के सहायक सम्पादक के रूप में सक्रिय भूमिका।
मॉस कम्युनिकेशन विभाग, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर।
सम्प्रति
सहायक निदेशक-उ0प्र0 मत्स्य विभाग, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
सम्पर्क सूत्र
16, कॉटन मिल कॉलोनी, चौकाघाट, वाराणसी-221002, उत्तर प्रदेश, भारत।
मोबाईल- 9415300706
डा0 मिश्र “तस्लीम” के सक्रिय रचनाकार ही नहीं, सूत्रधार भी हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि वे मत्स्य विभाग में सहायक निदेशक के रूप में कार्य करते हुए भी “तस्लीम” के लिए समय निकाल लेते हैं। तस्लीम ने हाल ही में यह फैसला लिया था कि वह अपने सदस्यों का परिचय भी आमजन के समक्ष प्रस्तुत करेगी, जिससे लोगों को उनके बारे में जानकारी हो सके। हालाँकि इस क्रम में सबसे पहला अधिकार डा0 अरविंद मिश्र जी का ही बनता था, पर संयोगवश उसी समय बीच में मनीष जी “तस्लीम” से आ जुडे, सो शुरूआत उन्हीं से हो गयी। अब उसके बाद सबसे पहला अधिकार मिश्र जी का ही बनता था। इसी क्रम में प्रस्तुत है उनका संक्षिप्त परिचय।
जन्म19 दिसम्बर, 1957
शिक्षामत्स्य विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा एवं जीव विज्ञान में डी0फिल0
लेखन/प्रकाशनवैज्ञानिक विषयों एवं विज्ञान कथाओं सम्बंधी एक हजार से अधिक आलेख धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, नवनीत, जनसत्ता, विज्ञान प्रगति, आविष्कार आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित।
तीन दर्जन से अधिक वार्ताएँ आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित।
पुस्तकेंरंग-बिरंगी मछलियाँ (1998)
एक और क्रौंच वध विज्ञान कथा संग्रह (2000)
विज्ञान कथा का सफर विज्ञान कथा का इतिहास (2000)
समाचार माध्यमों के लिए विज्ञान कथा सम्पादन, (2000)
प्रसारण माध्यमों के लिए विज्ञान कथा सम्पादन, (2002)
लोकप्रिय विज्ञान लेखन और विज्ञान पत्रकारिता सम्पादन, (2005)
“एक और क्रौंच वध” (भारतीय विज्ञान कथाएँ) में कहानी संकलित।
पुरस्कार एवं सम्मान
गोरखप्रसाद विज्ञान पुरसकार-1982
विज्ञान जन संवाद पुरस्कार-1994
विज्ञान वाचस्पति-1998 (विज्ञान परिषद, प्रयाग)
विज्ञान कथा भूषण सम्मान-2003
इस्वा सम्मान-2005 (भारतीय विज्ञान लेखक संघ, दिल्ली)
सी0वी0 रमन तकनीकी लेखन सम्मान-2006 (आईसेक्ट एवं इलेक्ट्रानिकी आपके लिए, भोपाल)
अन्य उपलब्धियाँ
अनेक राष्ट्रीय संगठनों में विभिन्न पदों पर रहते हुए सक्रिय सहभागिता।
विज्ञान संचार एवं विज्ञान कथा सम्बंधी दो दर्जन से अधिक कार्याशालाओं का सफल आयोजन/सम्पादन।
अनेक विज्ञान लेखक संघों के आजीवन सदस्य।
“विज्ञान कथा” पत्रिका के सहायक सम्पादक के रूप में सक्रिय भूमिका।
मॉस कम्युनिकेशन विभाग, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर।
सम्प्रति
सहायक निदेशक-उ0प्र0 मत्स्य विभाग, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
सम्पर्क सूत्र
16, कॉटन मिल कॉलोनी, चौकाघाट, वाराणसी-221002, उत्तर प्रदेश, भारत।
मोबाईल- 9415300706
Aadarneey Arvind ji, Agar likhne men kaheen koi galti ho gayi to chhamaa kariyega.
जवाब देंहटाएंतस्लीम जी ने सही कहा। अरविंद जी को और तस्लीम को इस हेतु बधायी।
जवाब देंहटाएंSudha Tripathi, Noida.
हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंआई ऍम ईम्बैरेस्ड ज़ाकिर ......काम करते जाने में जो आनंद है वह इन छोटी उपलब्धियों के उल्लेख किए जाने में कहाँ ? और अभी तो लंबा सफर तय करना है .
जवाब देंहटाएंshukriya...aise vyaktitv se milvaane ke liye......
जवाब देंहटाएंउन्मुक्त जी की सदाशय-विनम्रता तो देखिये -वे ख़ुद प्रचार प्रसार से दूर अपने काम के आनंद में मग्न हैं मगर दूसरे के प्रचारात्मक जानकारी पर भी सौजन्यता वश टिप्पणी कर रहे हैं -वे ऐसी शख्शियत हैं जोअपने प्रभाव से हम जैसे आत्मप्रचार मुग्ध लोगों को भी कभी कभार विनम्र बना देते हैं -शुक्रिया उन्मुक्त जी .
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी, बारे पढ कर पता चला, आप का बहुत बहुत धन्यवाद, ओर अरविन्द जी को नमस्कार
जवाब देंहटाएंमहामंत्री जी ने अच्छा परिचय दिया है अरविन्द जी का. फिर भी उनहोंने सूरज को चराग ही दिखाया है.
जवाब देंहटाएंआप को आज़ादी की शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंआप सभी को
जवाब देंहटाएंस्वतँत्रता दिवस की बधाई !
"वँदे मातरम "
बढिया जानकारी देने के लिये,
( About Arvind bhai sahab ) आभार !
- लावण्या
अरविन्द जी को मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं! वँदे मातरम!
आपके बारे काफी जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
फिलहाल.
शुभकामनाएं...
जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी के बारे में जानना अच्छा लगा। जाकिर अली जी और तस्लीम के सभी साथियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअच्छा किया आपने मिश्र जी का पर्याप्त प्रोफाइल बताया। धन्यवाद।
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