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अच्छी पहल !
जवाब देंहटाएंवाकई इस मामले में बड़ा रहस्यमयी माहोल है ..आप कुछ निष्कर्ष पर पहुंचे,ये मेरी आशा है...
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा है ,आपने एक सामयिक शुरुआत की है .
जवाब देंहटाएंइस श्रंखला के निष्कर्षों के प्रति उत्सुकता रहेगी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी शुरुआत
जवाब देंहटाएंNice one.
जवाब देंहटाएं-----------------------
विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!
बहुत ही अच्छी पहल...
जवाब देंहटाएंहाँ मुझे इन सब पे विश्वास है...
कुछ तो है... जिसकी अलग दुनिया है...
मीत
भाई सब से पहले तो यह पट्टी हटा ले तो अच्छा लगेगा, कमबख्त बहुत तंग करती है.
जवाब देंहटाएंबाकी मुझे इन बातो पर बिलकुल भी विशवास नही, लेकिन तंत्रिक लोग कुछ ऎसा महोल बना देते है कि सब कुछ अजीब सा लगने लगता है बाकी ओर कुछ नही है, चलिये आप ने पहल की है देखे अन्य लोग क्या कहते है.
तस्लीम भाइ ये तो आप बहुत ही बडिया काम कर रहे हैं दर असल् मैने अस्पताल मे 35 सल नौकरी की है और देखा है कि केसे लोग इन जन्त्र मन्त्र के चक्करों मे पड कर अपने जीवन से खेल रहे हैं सब देखते हुये भी अस्पताल के पढे लिखे लोगों को भी इस फेर मे फंसते देखा है घटनायें बहुत देखी हैण पर लिखते हुये समय लगेगा आप ये एक तरह से समाज सेवा ही कर रहे हैं शुभकामनायें आभार्
जवाब देंहटाएंsahee baat hai aap ek tarah kee samaaj sewa kara rahe hai ......jo sabke bas kee baat nahee hoti...achchhi muhim
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSakaratmak prayas sarahneey hai.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत का हाल ही अजीब है !
जवाब देंहटाएंवाह ... वाह से आगे कोई बात ही नहीं होती !
बिलकुल वही द्रश्य है कि पंडित जी कुछ भी बोलें बस स्वाहा ... स्वाहा कहते रहना है !
आप चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण बात कहें बस स्वाहा ... स्वाहा यानी "बहुत खूब" .... "बढ़िया लिखा है" !
मेरा तो भैया पूजा-पाठ .... ज्योतिष .... तंत्र-मंत्र से छत्तीस का आंकडा रहा है ! बहुत साल तक तो मैं खुद ही इन सबके पीछे भूत की तरह पड़ा रहा ! मेरे सामने आज तक जो भी आया मेरी खुली चुनौती रही कि बगैर मुझे छुए और खिलाये मेरा जो बिगाड़ पाओ बिगाड़ लो ! मैं आपके ब्लॉग के माध्यम से भी दुनिया के किसी भी तंत्र-मंत्र जानने वाले तांत्रिक या ओझा को चैलेन्ज करता हूँ !
अगर मैं अपने अनुभव यहाँ बाटूंगा तो बहुत लम्बी प्रतिक्रिया हो जायेगी ! बस इतना ही कहूँगा कि बनारस जैसी अध्यात्मिक नगरी से अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण दुनिया भर के औघड़, पंडा, नागा, धोती वाले बाबा, चिमटे वाले बाबा....पानी वाले बाबा ... काँटों वाले बाबा जाने कहाँ-कहाँ के बाबा लोगों से वास्ता पड़ा ! सब ठगी... भ्रम, मनोविज्ञान और झांसेबाजी का खेल है ! भैया झूठ क्यों कहें अगर मेरे साथ मेरे शुभचिंतक न होते तो कई जगह तो पिट गया होता !
लेकिन आप लाख प्रमाण दें ... लाख वैज्ञानिक सत्य को सामने लायें कोई फायदा नहीं ..... जीत हमेशा आस्था .... संस्कार की होगी ! मेरे घर वाले खुद ही इन सब पर बहुत विशवास करते हैं औरों को क्या कहूँ ?
मेरा कुछ ऐसा अनुभव रहा है। मेरे नाना जी बिच्छू का डंक झाड़कर ठीक कर देते थे। उनके न झाड़ने पर मैं बेहोश तक हो जाया करता था, यह तब पता चला, जब एक बार डंक मारने पर वो नहीं थे। और कोई मंत्र या भूत-प्रेत का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है। भूत खोजने के लिए गांव में बहुत भटका हूं। जितने पीपल पर जिन्न रहते थे, लोग कहते कि यहां पेशाब करने पर जिन्न, भूत पकड़ता है-- मैने पेशाब कर-करके देखा, लेकिन वह नहीं मिला।
जवाब देंहटाएंअगर मंत्र है भी १ लाख में से एक सही है। बाकी सब झूठे होते हैं, इसलिए इस पर विश्वास न करना ही लाभदायक है।
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जवाब देंहटाएंजिस के जीवन मे इस से कोई फायदा मिला होगा वह इन पर विश्वास करेगा। जिन्हे ऐसी बातों से वास्ता नही पड़ा होगा वह विश्वास नही करेगा।
जवाब देंहटाएंआप बिना गुड खाए, गुड का स्वाद जानने का प्रयत्न कर रहे हैं। भई मोती चुनने के लिए समुद्र में गहरा उतरना पडता है, ओर आप हैं कि समुद्र किनारे ये सोच पाले बैठे हैं कि "यदि आज पानी के बहाव मे बहकर किनारे पर मोती आ गए तो मैं मान लूंगा कि समुद्र में मोती होते हैं।" यदि आप इन सब की वैज्ञानिकता परखना चाहते है तो एक बार स्वयं इसकी परीक्षा करके देखिए। इन विधाओं के किसी जानकार व्यक्ति के मार्गदर्शन में थोडा समय खर्च कीजिए, फिर किसी नतीजे पर पहुंचिए। ये नहीं कि चार लोगों ने कह दिया कि ये सब बेफालतू और अंधविश्वास की बाते हैं तो उनके कहे को अन्तिम सत्य मान बैठे।
जवाब देंहटाएंनमस्कार
माननीय डी.के.शर्मा"वत्स" जी
जवाब देंहटाएंपता नहीं क्यों लग रहा है कि आप मुझसे संबोधित हैं ! मुझे कहीं न कहीं यह भी यकीन था कि आप और एक महिला (नाम नहीं लूँगा) अवश्य इस पोस्ट पर आयेंगे ! जब रोजी-रोटी और झूठी प्रतिष्ठा का प्रश्न हो तो कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी खडा हो जाता है !
महोदय आप यह कैसे कह सकते हैं कि मैं बिना गुड खाए गुड का स्वाद जानने का प्रयास कर रहा हूँ ?
इतनी जल्दी निष्कर्ष न निकालिए ! आपने ध्यान नहीं दिया मैंने खुली चुनौती दी है ! जो कुछ भी होगा सबके सामने होगा .... और तस्लीम के ब्लॉग पर ही होगा क्योंकि सामने तो कोई आने से रहा ! कोई चुनौती का सामने करने वाला सामने आये तो सही ! अपने आप सामने आ जाएगा कि कौन समुन्दर में है कौन नदी में और कौन तालाब में ?
यह जो पंडित लोग दुनिया भर की भविष्यवाणी करते फिरते हैं .... कब पानी बरसेगा ... कब कौन चुनाव जीतेगा ... कब भूकंप आएगा ... कब कौन विदेश जाएगा ... पैसा होगा कि नहीं ,,,,,,,, ????
अब जरा कोई यहाँ सबके सामने आकर अपनी विद्वता का प्रदर्शन करे तो कुछ बात बने !
right
हटाएंis tarh ke andh vishwas aur jantr-mantar mai to apna bhi vishwas kabhi nahi raha...aur aage bhi kabhi nahi hoga...
जवाब देंहटाएंjo is tarh ke kaam karte hai mujhe lagta hai wo bhagwaan ke naam pe logo ko bewkuf banate hai aur log bevkuf bante hai...
mai to yahi umid kar sakti hu ki apki is sarthak pahal ka logo ko uper achha asar pare aur log apni ankhe khole...
क्या कहूं इस बात पर ना वो तंत्र है ना वो मंत्र है फिर भी वो कुछ अलग है। नहीं जानता मैं, कि क्या कहूं। राज भाटिया जी की बात से सहमत हूं। पता नहीं वो कैसे माहौल बना डालते हैं कि समझ नहीं आता, लोग भगवान मानने लगते हैं। एक को जानता हूं कभी मौका मिला तो लिखूंगा। करुंगा पहल।
जवाब देंहटाएंपहली बार यहां आना हुआ और लगता है कि अब हर बार यहां आना होता रहेगा। आप मेरे ब्लॉग पर आकर अपनी राय छोड़ गए वो अच्छी लगी और बाद में आने वाले सभी ने उसी को कॉपी किया।
इस बारे में मैं यह कहना चाहुंगी कि पहले तो मैं एसे कोइ मंत्र-तत्र में विश्वास नहिं करती। मेरा यहाँ मानना है कि आदमी अपने कर्म से सुखी और अपने ही कर्म से दुख़ी।
जवाब देंहटाएंपर मेरी ज़िन्दगी का एक ऐसा सत्य उसे मै क्या नाम दुं उसकी दुविधा में हुं।
हमारे यहां पहले नवाबी राज हुआ करता था। जिस घराने की में आज बहु हुं।
मेरी उम्र तब 10 साल की होगी। हमारे नवाब साहब के यहाँ उन दिनों एक हादसा हुआ। उन के नौकर की मौत हो गइ बन्दुक की गोली से। राजकुमार को कस्ट्डी ले जाया गया।
मेरी अम्मी ने हमारा छोटे-छोटे चारों भाइ-बहनों को अपने पास बैठाया। कहा कि मेरी दुआ ख़्त्म होते ही तुम सब ये दुआ करोगे कि "ए रब! हमारे नवाब साहब के फ़रज़न्द बे-कसुर हैं, उनकी जल्द रिहाइ हो जाए। और हमारा चारों भाइ-बहन उन के ख़्वाब में जाकर ये कहें कि" आप फ़िकर न करें हमारा आपकी दुआ करते है"
अब इसे जो भी कहें हमारा चारों भाइ-बहन उसी रात उनके ख़्वाब में गये।
दुसरे दिन सुबहा उन्हों ने ये कहलवाया कि में उन चारों बच्चों से मिलना चाहता हुं।
21 वीं सदी के इस वाकेयात को हम क्या कहेंगे?
पता नहिं।आज भी मैं हैरान हुं इस के जवाब के लिये!!!
इस बारे में मैं यह कहना चाहुंगी कि पहले तो मैं एसे कोइ मंत्र-तत्र में विश्वास नहिं करती। मेरा यहाँ मानना है कि आदमी अपने कर्म से सुखी और अपने ही कर्म से दुख़ी।
जवाब देंहटाएंपर मेरी ज़िन्दगी का एक ऐसा सत्य उसे मै क्या नाम दुं उसकी दुविधा में हुं।
हमारे यहां पहले नवाबी राज हुआ करता था। जिस घराने की में आज बहु हुं।
मेरी उम्र तब 10 साल की होगी। हमारे नवाब साहब के यहाँ उन दिनों एक हादसा हुआ। उन के नौकर की मौत हो गइ बन्दुक की गोली से। राजकुमार को कस्ट्डी ले जाया गया।
मेरी अम्मी ने हमारा छोटे-छोटे चारों भाइ-बहनों को अपने पास बैठाया। कहा कि मेरी दुआ ख़्त्म होते ही तुम सब ये दुआ करोगे कि "ए रब! हमारे नवाब साहब के फ़रज़न्द बे-कसुर हैं, उनकी जल्द रिहाइ हो जाए। और हमारा चारों भाइ-बहन उन के ख़्वाब में जाकर ये कहें कि" आप फ़िकर न करें हमारा आपकी दुआ करते है"
अब इसे जो भी कहें हमारा चारों भाइ-बहन उसी रात उनके ख़्वाब में गये।
दुसरे दिन सुबहा उन्हों ने ये कहलवाया कि में उन चारों बच्चों से मिलना चाहता हुं।
21 वीं सदी के इस वाकेयात को हम क्या कहेंगे?
पता नहिं।आज भी मैं हैरान हुं इस के जवाब के लिये!!!
abhi tak to jeevan me kabhi koi vasta nhi pda .agr kuch bhi jankari
जवाब देंहटाएंmilegito avshy bataugi .
apko is pahal ke liye shubhkamnaye.